गणेशशंकर विद्यार्थी | Ganesh Shankar Vidyarthi साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 8

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हिन्दी भाषा का भविष्य

[ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के गोरखपुर अधिवेशन में अध्यक्ष पद से दिये हुए भाषण का कुछ अंश ]
". .हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य का भविष्य बहुत बड़ा है । उसके गर्भ में निहित भवितव्यताएँ इस देश और उसकी भाषा द्वारा संसारभर के रंगमंच पर एक विशेष अभिनय कराने वाली हैं । मुझे तो ऐसा भासित होता है कि संसार क...

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राष्ट्रीयता | निबंध

देश में कहीं-कहीं राष्‍ट्रीयता के भाव को समझने में गहरी और भद्दी भूल की जा रही है। आये दिन हम इस भूल के अनेकों प्रमाण पाते हैं। यदि इस भाव के अर्थ भली-भाँति समझ लिये गये होते तो इस विषय में बहुत-सी अनर्गल और अस्‍पष्‍ट बातें सुनने में न आतीं। राष्‍ट्रीयता जातीयता नहीं है। राष्‍...

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पत्रकार का दायित्त्व

हिंदी में पत्रकार-कला के संबंध में कुछ अच्‍छी पुस्‍तकों के होने की बहुत आवश्‍यकता है। मेरे मित्र पंडित विष्‍णुदत्‍त शुक्‍ल ने इस पुस्‍तक को लिखकर एक आवश्‍यक काम किया है। शुक्‍ल जी सिद्धहस्‍त पत्रकार हैं। अपनी पुस्‍तक में उन्‍होंने बहुत-सी बातें पते ...

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धर्म की आड़

इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पात किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और ज़िद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
देश के सभी शहरों का यही हा...

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हाथी की फाँसी

कुछ दिन से नवाब साहब के मुसाहिबों को कुछ हाथ मारने का नया अवसर नही मिला था। नवाब साहब थे पुराने ढंग के रईस। राज्‍य तो बाप-दादे खो चुके थे, अच्‍छा वसीका मिलता था। उनकी ‘इशरत मंजिल' कोठी अब भी किसी साधारण राजमहल से कम न थी। नदी-किनारे वह विशाल अट्टालिका चाँदनी रात में ऐसी शोभा देती थी...

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जेल-जीवन की झलक

जेल जाने के पहले जेल के संबंध में हृदय में नाना प्रकार के विचार काम करते थे। जेल में क्‍या बीतती है, यह जानने के लिए बड़ी उत्‍सुकता थी। कई मित्रों से, जो इस यात्रा को कर चुके थे, बातें हुई। किसी ने कुछ कहा और किसी ने कुछ। इस विषय में कुछ साहित्‍य भी पढ़ा। महात्‍मा गाँधी के 'जेल के...

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गणेशशंकर विद्यार्थी का अंतिम पत्र

आदरणीया बहिन जी!सादर नमस्कार । मैं आपसे भली-भांति परिचित हूँ। मेरी धारणा है कि मैंने आपको कलकत्ते में आज से दस वर्ष पहले। देखा था। उस समय आप बहुत छोटी थीं। यहाँ की दशा निस्सन्देह बहुत बुरी है । हम लोग शान्ति के लिए प्रयत्न कर रहे हैं। आपकी यह इच्छा कि आप प्राणों पर खेल कर भी शान्ति के लिये प्रयत्...

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गणेश शंकर विद्यार्थी के निबंध

श्री गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के चोटी के सेनानियों में से एक थे। 'प्रताप' के संपादक इस यशस्वी पत्रकार, गणेश शंकर विद्यार्थी के निबंधों को यहाँ संकलित किया जा रहा है।

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गणेशशंकर विद्यार्थी | Ganesh Shankar Vidyarthi का जीवन परिचय